ABSTRACT:डिजिटल युग में, शारीरिक निष्क्रियता, गलत शारीरिक मुद्रा, तनाव और एकाग्रता की कमी जैसी समस्याएँ बच्चों में तेजी से बढ़ रही हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF-FS) 2023 आधुनिक विद्यालयी शिक्षा में पारंपरिक प्रथाओं जैसे योग के माध्यम से समग्र शारीरिक और मानसिक कल्याण के एकीकरण पर जोर देती हैं। यह अध्ययन सूर्य नमस्कार के माध्यमिक विद्यालय के विद्यार्थियों के समग्र शारीरिक विकास पर प्रभाव की जांच करता है, जो पारंपरिक भारतीय ज्ञान को वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ जोड़ता है।
एक प्रयोगात्मक शोध डिजाइन अपनाया गया, जिसमें अजमेर के विद्या-भारती माध्यमिक विद्यालयों से 11-14 वर्ष की आयु के 60 विद्यार्थियों (कक्षा 6 से 8) को प्रयोजनात्मक नमूना विधि द्वारा चयनित किया गया। प्रतिभागियों को दो समूहों-प्रयोगात्मक समूह (N=30) और नियंत्रण समूह (N=30) में विभाजित किया गया। प्रारंभिक आकलन के लिए मांसपेशियों की शक्ति, लचीलापन, सहनशक्ति और शरीर संरचना का मानकीकृत परीक्षणों (सिट-एंड-रीच टेस्ट, सिट-अप टेस्ट और बॉडी मास इंडेक्स (BMI) विश्लेषण) के माध्यम से मूल्यांकन किया गया।
प्रयोगात्मक समूह को 8 सप्ताह तक प्रतिदिन 30 मिनट की सूर्य नमस्कार अभ्यास अवधि दी गई, जिसमें सूक्ष्म व्यायाम, ताड़ासन और त्रिकोणासन जैसे अभ्यास भी शामिल थे। प्रयोगात्मक गतिविधियों के बाद किए गए विश्लेषण से पता चला कि प्रयोगात्मक समूह में लचीलेपन, मांसपेशीय सहनशक्ति और शरीर संरचना में सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण सुधार (युग्मित t-परीक्षण, p<0.05) हुए। सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने वाले प्रतिभागियों में संतुलन में वृद्धि, ऊर्जा स्तर में बढ़ोत्तरी और एकाग्रता में सुधार भी देखा गया।
अध्ययन के निष्कर्ष सूर्य नमस्कार को विद्यालयी पाठ्यक्रम में एकीकृत करने की परिवर्तनकारी संभावनाओं को उजागर करते हैं, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) के समग्र विकास के उद्देश्यों के अनुरूप है। यह शोध शिक्षा प्रणाली में नियमित रूप से योग अभ्यास को शामिल करने की सिफारिश करता है ताकि विद्यार्थियों के शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्पष्टता और भावनात्मक कल्याण को बढ़ावा दिया जा सके।