AUTHOR(S): कुलदीप कुमार, डॉ. सी. पी. सिंह भाटी, डॉ. माधवी चंद्रा
ABSTRACT:
उपनिषद् भारतीय ज्ञान का भंडार है। वेदों का अंतिम भाग होने के कारण इन्हें वेदान्त भी कहते हैं। पूर्व में वेदान्त शब्द से उपनिषद् ग्रन्थ ही अर्थ लक्षित होता था। किंतु कालान्तर में उपनिषदों, ब्रह्मसूत्र तथा सभी प्रकार की गीताओं तथा उन पर आधारित ज्ञान को वेदान्त शब्द से ही सम्बोधित करते हैं। उपनिषदों की कुल संख्या 220 मानी जाती है जिनमें प्रमुख उपनिषदों की संख्या 11 है। श्वेताश्वतरोपनिषद् एक बहुत ही महत्वपूर्ण उपनिषद् है। कुछ विद्वान् श्वेताश्वतरोपनिषद् को प्रमुख उपनिषदों की श्रेणी से भिन्न रखते हैं। लेकिन श्वेताश्वतरोपनिषद् में ब्रह्मविद्या का वर्णन होने के कारण तथा आदि शंकराचार्य जी का भाष्य प्राप्त होने से यह प्रमुख 11 की श्रेणी में आता है तथा योगविद्या का वर्णन होने से यह यौगिक उपनिषदों की श्रेणी में भी प्राप्त होता है। श्वेताश्वतरोपनिषद् में सर्व प्रथम योग विद्या का लक्षणों तथा सिद्धि सहित स्पष्ट वर्णन मिलता है।
कुलदीप कुमार, डॉ. सी. पी. सिंह भाटी, डॉ. माधवी चंद्रा. श्वेताश्वतरोपनिषद् में योग विद्या के तत्व. Int J Yogic Hum Mov Sports Sciences 2023;8(2):406-409. DOI: https://doi.org/10.22271/yogic.2023.v8.i2f.1494