2021, Vol. 6 Issue 2, Part B
विभिन्न गन्थों में योग की संकल्पना एवं महत्व
AUTHOR(S): डॉ0 महेश कुमार मुछाल
ABSTRACT:
व्यक्ति के चरित्र निर्माण में योग की सर्वोच्च भूमिका है। योग मनुष्यों में मनुष्यता के मूल्यों को जागृत करता है। योग के अभ्यास से कई प्रकार के भाव जैसे क्षमा, दयाभाव, कृपालुता, ज्ञान एवं उदारता प्राकृतिक रूप से ही प्रस्फुलित होने लगती है। अतएव कोई भी शक्ति योग शक्ति के समान नहीं है और न ही योग से बढ़कर कोई मनुष्य का मित्र हो सकताहै। इसीलिए योग को भारतीय सभ्यता की भरी-पूरी सभ्यता कहा जाता है। योग का महत्व और उपयोग आधुनिक जगत में भी निरन्तर बढ़ रहा है। शिक्षा हमारे समाज में, जीवन का एक अभिन्न अंग है।
Pages: 62-65 | 550 Views 146 Downloads
How to cite this article:
डॉ0 महेश कुमार मुछाल. विभिन्न गन्थों में योग की संकल्पना एवं महत्व. Int J Yogic Hum Mov Sports Sciences 2021;6(2):62-65.