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International Journal of Yogic, Human Movement and Sports Sciences
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ISSN: 2456-4419

2020, Vol. 5 Issue 2, Part C

वर्त्तमान समय में अष्टांगिक मार्ग और योग की उपयोगिता

AUTHOR(S): डॉ. सुषमा यादव, एम. एस. यादव
ABSTRACT:
आज मानव की बागडोर बिना लगाम के घोड़े के सामान दिखाई पड़ती है आत्मा की स्थिति वैसे ही घोड़े के सामान है जिसे वश में करने के लिए लगाम नहीं लगाई जा सकती है। आज मानव अपनी ढपली अपना राग अलापने में मस्त है। इस वैज्ञानिकता के युग में मानव ने अपनी सुख सुविधा हेतु सभी साधनों का प्रबंध कर रखा है। आज न कोई योगी, न कोई भोगी। अपनी खिचड़ी पकाने में ही सुखानुभूति हो रही है, जो लगाम ऋषि मुनियों ने समाज कल्याण के लिए बना रखी है, आज उसका रूप विज्ञान ने नष्ट कर दिया है।
वैज्ञानिक शोध से ज्ञात होता है कि समाज बंधन मोक्ष के स्थान पर अंधाधुंध सुख के साधन उपलब्ध करा चुका है,और कराया जा रहा है। उस जमाने में मानव तप के बल पर ज्ञान या सुख कि अनुभूति रखता था। आज दौलत के बल पर सुख कि अनुभूति हो रही है। योग के अभ्यास से व्यक्ति को मन शरीर और आत्मा को नियंत्रित करने में मदद मिलती हैं। यह भौतिक और मानसिक संतुलन द्वारा शांत मन और संतुलित शरीर की प्राप्ति कराता हैं। तनाव और चिंता का प्रबंधन करता है। यह शरीर में लचीलापन, मांशपेशियों को मजबूत करने और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करता है योग हमारी जीवन शैली में परिवर्तन लाकर हमारे अंदर जागरूकता उत्पन्न करता है।
Pages: 165-167  |  519 Views  104 Downloads


International Journal of Yogic, Human Movement and Sports Sciences
How to cite this article:
डॉ. सुषमा यादव, एम. एस. यादव. वर्त्तमान समय में अष्टांगिक मार्ग और योग की उपयोगिता. Int J Yogic Hum Mov Sports Sciences 2020;5(2):165-167.
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