ABSTRACT:पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨à¤¤à¤® काल से ही हमारे ऋषियों, महरà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ तथा मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने जीवन के सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¤® लकà¥à¤·à¥à¤¯ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के लिठपà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ किया है ताकि इस मानव देह का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ पà¥à¤²à¤•à¤¿à¤¤ हो सके और उस परम सतà¥à¤¤à¤¾ । परमातà¥à¤®à¤¾ का आतà¥à¤®à¤¸à¤¾à¤•à¥à¤·à¤¾à¤¤à¤•à¤¾à¤° हो सके उसके लिठयोग। योगांगो को सरà¥à¤µà¤¾à¥‡à¤¤à¤® साधन à¤à¤µà¤‚ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ बताया गया है ताकि मन। शरीर व आतà¥à¤®à¤¾ के तादमà¥à¤¯à¤¤à¤¾ को पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित किया जा सके। इसके सनà¥à¤¦à¤°à¥à¤ पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ अहमॠà¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤¤à¤¿ है। पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ अपनी पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को à¤à¤²à¥€ - à¤à¤¾à¤à¤¤à¤¿ से जानकर व मनन कर अपने à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤¤à¤° व मानस सà¥à¤¤à¤° को à¤à¤²à¥€ - à¤à¤¾à¤à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से समठसकता है।
यह हमारे शारीरिक सà¥à¤¤à¤°à¥¤ मानसिक सà¥à¤¤à¤° व आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¤à¤° को पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ करती है तथा जब तक इस देह में पà¥à¤°à¤¾à¤£ संचार उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ रहता है पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ पूरे देह पर रहता है चाहे वह सूकà¥à¤·à¥à¤® रà¥à¤ª से हो या उचà¥à¤šà¤¤à¤® सà¥à¤¤à¤° पर पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ हो।
पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ही पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ का आहार-विहार, चिंतन मनन, शारीरिक ढाà¤à¤šà¤¾, रहन - सहन तथा अनà¥à¤¯ सà¤à¥€ पहलू सधनातà¥à¤®à¤• रà¥à¤ª से निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤¿à¤¤ व संचालित होते हैं इन सà¤à¥€ पहलà¥à¤“ं को समà¤à¤¤à¥‡ हà¥à¤ वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• व मनौविजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• तौर पर à¤à¥€ निरीकà¥à¤·à¤£ किया जा सकता है। जिससे पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª, गà¥à¤£à¥‹à¤‚ व विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨à¤“ं को à¤à¤²à¥€-à¤à¤¾à¤à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से समà¤à¤¾ जा सके व योग साधना मारà¥à¤— पर चलने में सहायक सिदà¥à¤§ हो सके ताकि परम उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने में सà¥à¤—मता हो सके। आज के नवयà¥à¤— में पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• जन-मानस का शारीरिक व मानसिक सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हà¥à¤† इसका मà¥à¤–à¥à¤¯ कारण लोगों की दिनचरà¥à¤¯à¤¾, रहन - सहन, आहार - विहार इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ घटकों को बताया गया है जिसके परिणामसà¥à¤µà¤°à¥à¤ª आज विशà¥à¤µ नई - नई वà¥à¤¯à¤¾à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का सामना कर रहा है।
इसके लिठनिरनà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ à¤à¥€ जारी किठजा रहे हैं लेकिन पूरà¥à¤£à¤¤à¤¯à¤¾ सफलता हासिल नहीं हà¥à¤ˆ है कहीं ना कहीं आज इतनी वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ व आधà¥à¤¨à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ के कारण à¤à¥€ समाज असहाय महसूस करता है लेकिन à¤à¤• तथà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में रखकर इन समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का निवारण किया जा सकता है।
पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ इस धरा धरती पर जनà¥à¤® लेता है तो वह अपने शरीर के साथ पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को à¤à¥€ साथ लेकर पैदा होता है अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ (सतà¥à¤¤à¥‹à¤—à¥à¤£, रजोगà¥à¤£, तमोगà¥à¤£) पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ होता है उसमें सतà¥à¤µ, तम की पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤¤à¤¾, कमी, सतà¥à¤¤à¥‹à¤—à¥à¤£ की पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ à¤à¥€ हो सकती है।
यह सब पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ का वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° आहार-विहार, कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾-कलापों व चेतनता का सà¥à¤¤à¤° इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ संबंधित घटकों को पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ करता है तथा पूरी उमà¥à¤° तक पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का चकà¥à¤° चलता रहता है तथा वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ होता रहता है।